Tuesday, 30 May 2017

पलकें उठाने दो ना मुझे ..

तेरा ही तो ख्वाव हूँ , अपनी वाहों में आने दो ना मुझे ....
तेरा ही तो अरमान हूँ , अपने आंगन में गुनगुनाने दो ना मुझे ..

बिना देखे मेरा नूर , कैसे निर्णय बना लिया ..
काबीलियत देखे बिना ही क्यूँ बेटी समझ नकार दिया .....
किसी आफताब का नूर हूँ मैं जहाँ में आने दो ना मुझे .....
बेटे से ज्यादा काबिल हूँ यह हुनर दिखाने दो ना मुझे ....

काफिला ज़माने का बेटे के फितूर में चल रहा .....
बेटी को कोख में फना कर खुद को भगवान समझ रहा .....
 
इस जहाँ में लड़की का वजूद बनाने दो ना मुझे .....
जन्म देकर काफिले का रुख मोडने दो ना मुझे ....

शक्ती हूँ में माँ दूर्गा सी , भूखों भी ना रोंउंगी ....
तेरे हर दुख में हर उम्र में , साथ हमेशा होऊँगी ....
तस्वीर हूँ तेरे बदलते नसीब की अस्तित्व लेने दो ना मुझे ..
 
तेरे सर का ताज बनूँगी अपनी कोख में पनपने दो ना मुझे .......

माँ लक्ष्मी का रूप हूँ मैं बरकत लेकर आऊँगी ...
 
भैया की किताबों से पढकर खेतों में हाथ बटाऊँगी .....
इनायत हूँ खुदा की दो घर आंगन महकाने दो ना मुझे ....
इस कायनात को निहारना चाहती हूँ पलके तो उठाने दो ना मुझे


-@अpoorva

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