Saturday, 5 May 2018

मुझमे अभी मैं बाकी हूँ


आधी चली है राह अभी है दूर अभी भी मंजिलें ....
आधे अधूरे ख्वाव की, यूँ डगमगाती कोशिशें ....
थोडा तराशा खुद को है , मुझमे मैं अभी बाकी हूँ ...
आधी जागी हूँ नींद से , आधा स्वप्न में बाकी हूँ ...

क्यों शोर में सन्नाटें हैं, क्यों उलझे हुए सब नातें हैं ...
लडखडाते क़दमों के सामने, क्यों हाथ अब थम जातें हैं ...
क्यों बहती हुई हवा का रुख , अब मैं मोड़ नही पाती हूँ ...

आधी लिखी है नज़्म अभी, आधा सा चुप रह जाती हूँ ...
क्यों हँसता हुआ कोई चेहरा भी , लाखों कहानियां कहता है ....
आधा सा सुकून दिखा दिन में , फिर आधा रात में रोता है ...
है स्याही मेरी बिखरी हुई , पर आधी बात कह पाती हूँ ..
आधी पहुंची हूँ जमाने तक , आधी कहानियों में बाकी हूँ ....

@poorva
-अपूर्वा गुप्ता

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