Saturday, 28 December 2019

इक मुसाफिर

ढलते हुए सूरज से कुछ
भरकर आँखों में आशायें
होता सदृढ़ हर भोर किरण संग
लिखने को अपनी गाथाएँ

उठा शस्त्र लेकर अरमान
चल पड़ा पथिक अपनी ही शान
मिलता न पथ पर कोई निशाँ
सह लेता वो हर एक अपमान

कहते निशाचर उसे सभी
ख़्वावों में था बस एक मुकाम
न सुध थी दिन की रात की
बढ़ते जाना उसका सिद्धान्त

चलता ख़ुद में तूफान लिए
जीतूंगा मैं, ये ठान लिए
हंसते मुसाफिर गिर गिर कर
वो सह लेता मुस्कान लिए

मिलता कभी जो फल उसे
ले लेते कर निर्बल उसे
कह देते उसे तू लायक नही
फिर आना, अभी वक़्त नही

जला मिशाल फिर अंगारों से
डरता नही वो धिक्कारों से
ख़्वावों को सरताज लिए
हारा नही ये जान प्रिये

फिर लौटूंगा सैलाब लेकर
अधूरे ख्वाब को आवाज देकर
विपदाओं से लड़ झगड़कर
उम्मीदों से भरा जोश लेकर

इस चकाचौन्ध दुनिया में
इक मुसाफिर को पहचान दिलाने।

@अpoorva

Wednesday, 29 May 2019

खुद की खोज में निकल कहीं


तो क्या हुआ जो मौन हूँ,
मैं ढूंढ रही मैं कौन हूँ..
वर्तमान के अन्धकार में,
धधकती हुई मिशाल हूँ..

तो क्या हुआ जो गिर रही, 
हर प्रहार पर सिहर रही,
काल के आघात से,
धिक्कार को है सह रही..

ये समय यदि प्रहार है,
मैं लहूलुहान वीरांगना सही ..
ये हार यदि कोई कांच है,
मैं पत्थर पर लिखी इबादत कहीं.. 
ये पराजित्ता यदि जलती लौ है,
मैं बुझी राख का अंगार सही..
ये विप्पतियाँ यदि समंदर है,
मैं जीत की प्रचंड लहर कहीं..

जो भभक उठी अंगार की लौ,
इस अन्धकार को ले जाएगी. 
मेरे वजूद की खामोशियाँ,
हद से ज्यादा शोर मचाएंगी..
ये अंत नहीं शुरुआत है,
ब्रमांड को निहार सही..
तू भी  ये जंग जीत लेगा,
खुद की खोज में निकल कहीं
खुद की खोज में निकल कहीं !!

Written by : APOORVA GUPTA
Picture Credit :  AAKRITI TAMRAKAR

Monday, 7 January 2019

तू किसी का गुलाम मत बनना


सुनो, तुम घबराना नहीं भ्रमित लोंगो से,
कोई भ्रम की दीवार तुम्हारी उड़ान से ऊंची नहीं |
ठहर मत जाना किसी ओस की  बूँद समान,
घडी की सुइयां तेरे लिए रुकेगी नहीं |
चाहे निकल पड़ें तेरे अपने तेरा इमान बेचने को,
तू अपने हौसलों को सदा सलाम करना,
ये दुनिया बाँधेगी तुझे जंजीरों में,
पर तू किसी का गुलाम मत बनना।

डरना मत जब अच्छाई को तेरी अंधकार निगल जाये,
चारों दिशाओं में अपना वर्चस्व न देख पाए
किस्मत की लकीरों में सवेरा भी है लिखा कहीं,
कहतें हैं उद्द्यमी को ये वक़्त डरा सका नहीं
चाहे मंजिल  पहले ही राहें ख़त्म हो जाएं
मन में अटूट विश्वास लिए तू खुद अपनी राह बुनना
विपत्तियां गले लगाएंगी
पर तू किसी का गुलाम मत बनना।

देखना मत इन काल्पनिक पिंजरों को
वक़्त के साथ उड़ना भी सीख जायेगा
तू खोना मत अपने अरमानो को
अच्छा वक़्त पूरी कायनात साथ लाएगा
चाहे सब यार बिछड़ जाएं
तू भरोसा रख उनका इंतज़ार करना
नीरसता तुझसे मिलने आएगी
पर तू उसका गुलाम मत बनना

Apoorva Gupta